सपनो के पर्दे खुले थे आसमानी रंगो मे घुलें थे एक उड़ती कश्ती की बाँहें थामे हर रोज़ की फ़िक्र भरी वो शामें मन था घोड़ों पे…… Read more “मन का कोफ़्त”
सपनो के पर्दे खुले थे आसमानी रंगो मे घुलें थे एक उड़ती कश्ती की बाँहें थामे हर रोज़ की फ़िक्र भरी वो शामें मन था घोड़ों पे…… Read more “मन का कोफ़्त”