सपनो के पर्दे खुले थे आसमानी रंगो मे घुलें थे एक उड़ती कश्ती की बाँहें थामे हर रोज़ की फ़िक्र भरी वो शामें मन था घोड़ों पे…… Read more “मन का कोफ़्त”
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एक दिन का श्रोता
मैं हूँ एक भोला भाला सा इंसानरहता था सबसे अनजानदुनियादारी का थोड़ा ना था ज्ञानकम समझदारी से भी था हलाकानबहुत दिनो तक घर पे बैठा सोचा करताक्या…… Read more “एक दिन का श्रोता”