बीता जो साल ये क्या कुछ दे गयासोचा क्या पाया क्या ख़ाली गया साल येक्या कुछ बता गयासमय से बलवान क्या रुला गया साल ये क्या कुछ खो गयामृत्यु से अधिक सच क्या डरा गया साल येक्या कुछ ले गयाबढ़ी धड़कन से तेज क्या अनभिज्ञ नया साल येजाने कैसा जाएगाज़िंदगी से बड़ा क्या ख़ुशहाली भरा हो साल ये नया अन्दाज़ दिखाएगाअपनो के होने से महत्वपूर्ण क्या सबको दे नए आयाम खड़ा साल ये अपना वादा ज़रूर निभाएगा अच्छे स्वास्थ्य से सच्चा दोस्त क्या
Author: Anurag Kesharwani
शिक्षक – सच्चा मार्गदर्शक
शिक्षा का महत्व जो समझाएकामयाबी की पहली कुंजी जो बन जाएवही सही मायने में शिक्षक कहलाये खुद को खुद से जुड़ने का रास्ता जो दिखलायेआशाओं के दीप…… Read more “शिक्षक – सच्चा मार्गदर्शक”
आख़िरी लालच (ज़्यादा पड़ेगा भारी)
बात मसूरी की है। मैं होटल में रुका था। । क्योंकि नाश्ता का समय साढ़े दस बजे तक ही होता है, इसलिए होटल वालों ने बताया कि…… Read more “आख़िरी लालच (ज़्यादा पड़ेगा भारी)”
ख़्वाहिशों की स्याही
My Sister- Full of Confidence and living her dreams as planned दुनिया में कितने लोग होते है जो अपने तक़दीर को अपने ढंग से लिखते हैं। हम…… Read more “ख़्वाहिशों की स्याही”
हम इंसान बुरे नहीं
हर इंसान का आपकी तरफ़ देखना और आपके लिए अपने मन में धारणा बना लेना यह जाने बगेर कि आप वैसे नहीं जैसे आपको दुनिया देख रही…… Read more “हम इंसान बुरे नहीं”
मुलाक़ात वाला इंतेज़ार
शाम-ए-महफ़िल कहीं काफ़ूर हों गयींउसकी तन्हाई दिल का नासूर हों गयीं शुमार थी हर क़िस्म की ख़ास-ए-शख़्सियत आजदिल बीमार था , कहाँ गयी मेरी मिलकियत आज मलिका…… Read more “मुलाक़ात वाला इंतेज़ार”
जीवनसाथी -दिया संग बाती
खुशनसीब थे , जो शादी कर लिए अपनो की ख़ुशियों में घोड़ी चढ़ लिये सूना था जहां , जिसके इंतेज़ार में बहारों का मौसम आया, ख़ुशियाँ मिली…… Read more “जीवनसाथी -दिया संग बाती”
नदी सा चरित्र
नदी जीवन की मुख्य धारा से जुड़ी होती हैं बहते चलना उसका कर्म, वो हर ओर मुड़ी होती हैं उसका हैं साम्राज्य हर तरफ़ हर ओरहवाओ के…… Read more “नदी सा चरित्र”
एक पाती पिता के नाम
True feeling about my father who holds strongest man position in my life
मन का कोफ़्त
सपनो के पर्दे खुले थे आसमानी रंगो मे घुलें थे एक उड़ती कश्ती की बाँहें थामे हर रोज़ की फ़िक्र भरी वो शामें मन था घोड़ों पे…… Read more “मन का कोफ़्त”
नशा हो तो ऐसा
यह दुनिया अब बन गयी है हरिवंश की मधुशालाहर किसी को नशा खींचता,खुद बन जाते हैं प्याला भर भर पीते जाम को उछाल उछालदम भर के धुएँ…… Read more “नशा हो तो ऐसा”