
आदरणीय पापा जी ,
चरण स्पर्श
आप कैसे हैं ? आशा करता हूँ कि आपका स्वास्थ्य और आपकी मुस्कुराहट बनी रहती होगी।आपके साथ मेरे संकोच की सीमाओं के बीच कभी शब्दों के जरिए मै जता या बता नहीं पाया, लेकिन आज जब सोच रहा था कि फादर्स-डे पर आपके लिए क्या करूँ , आपको उपहार क्या दूं? तो सोचा कि जिस पिता ने मुझे काबिल बनाने और हमेशा खुश रखने में अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया, उनके लिए शायद किसी उपहार से ज्यादा संतान का उनके प्रति प्रेम और भावनाओं की अभिव्यक्ति अनमोल होगी।
इसी कारण आज मैंने अपनी अनमोल भावनाओं को आपके समक्ष प्रस्तुत करने का मन बनाया है।एक बेटे के नाते मेरा झुकाव आपकी तरफ़ हमेशा कम रहता था और माँ के साथ ज़्यादा था।आपके कठोर व्यक्तित्व की वजह से आपसे दूरी रखना पड़ता था।आपकी डाँट से मैं हमेशा सहम जाता था। आपकी मार मुझे आज भी डराती हैं।
आपका पीठ पीछे का प्यार और व्यवहार हम कभी देख ना सके। सामने से मना करके , चोरी चोरी आप हमारी फ़रमाइशें पूरी किया करते थे । छुपाकर हर शौक मेरा आपने पूरा किया और हर छोटी-बड़ी उपलब्धि पर मेरा उत्साह बढ़ाते रहे। मगर इन सब बातों से मै अनजान था । जब भी मेरी हिम्मत जरा भी कहीं कम पड़ती दिखाई दी, तो सामने से “गधे” की उपाधी दे के पीछे से हौसला आपने ही दिया।
ये कहकर कि ‘तुम करो, आगे बढ़ो/ मैं हूं ना तुम्हारे साथ, फिर किस बात की चिंता?’ आपके मन मे कहीं रखी इन अनकहे शब्दों ने और एक अलग अन्दाज़ मे इन बातों को बयां कर के जीवन की किसी भी कठिन और असमंजस भरी परिस्थिति में मेरा साथ नहीं छोड़ा ।
और मैं संघर्ष के दिनों में भी दुगने आत्मविश्वास के साथ खड़ा हुआ और अपनी लड़ाई जारी रखी।आज भी समय कैसा भी हो, चाहे कोई साथ खड़ा हो न हो। मुझे ये विश्वास है कि आप हर पल मेरे साथ खड़े हैं और दुनिया की कोई ताकत मुझे डिगा नहीं सकती।
जब भी वे पुरानी बातें याद आती हैं, जब आप सुबह-सवेरे हमसे भी पहले उठकर घर की सफ़ाई और पौधों पर पानी डालने के साथ मम्मी के साथ नाश्ते की तैयारी कर दिया करते थे और जब मैं खाने में नखरे करता तो आप भी नाराज होकर डांटकर ( कभी कभी मारकर) खाना खिलाते थे। शाम का वक़्त फलों से सराबोर रहता था।अच्छा खाये हैं , इसलिए आज भी हृष्ट-पुष्ट है ।
आपकी उस नाराजगी में छुपा प्यार तब समझ नहीं आता था, लेकिन अब आता है।जब मैं स्कूल जाने के लिए तैयार हो जाता , तब तक आप मेरी साइकल को निकालकर, साफ करके उस पर मेरा स्कूल बैग भी रख दिया करते और मेरे जूतों पर कपड़ा मारकर पहनने के लिए तैयार करके रखते, जैसे कोई राजा महाराजा आएँगे और साइकल उठाकर सवारी निकलेगी ।
जब मै बड़ा हुआ , नौकरीपेशा हुआ , कल का कठोर पुरूष आज का दोस्त बन बैठा है । कोई रोक टोक नहीं , कोई झिझक नहीं , कोई परेशानी नहीं , कोई भी बात बेपरवाह हो के बोलने को आज़ादी मिल चुकी है । मगर आज भी पूछ के कोई काम करने का जो मज़ा है , वो खुद अकेले करने में नहीं । आज भी लगता है ऊपर में कोई ऊपर वाला बैठा है , जो सही ग़लत का मार्गदर्शन करने में सक्षम है । अपने बडो की बात का बुरा मानना क्यों , जब वो हाथ बढ़ा के दे रहे है , मदद लेने में सोचना क्यों।
अधूरे थे माँ के दुलार के साथ ,
पूरे तब हुए जब पड़ीं पिता की हमें दो चार हाथ
याद आता है मुझे –
वो सवेरे की भागदौड़ , उठने की लगी होड़
आवाज़ करती सेकेंड हैण्ड साइकिल पे स्कूल जाने का मज़ा
साफ़ सुथरे कपड़े पहन के सजा धजा
हाथ ऊपर करके पंखे से चॉकलेट लाना
कोई जादूगर नहीं ,मगर उम्दा जादू दिखलाना
बीमार पड़ने पर रात भर की निगरानी
ठीक होने के लिए होस्पिटल जाने की परेशानी
फ़ीस माँगने पे मिलता मुझे लेकचर
दूसरे के बच्चे की तारिफ़ से दिमाग़ होता फ़्रैंकचर
कल का खाया पीया ,कल की पढ़ाई और कल की कसरत
आज काम आ रहा है सब , आज रंग ला रही है सारी मेहनत
कल की रुकावटें , कल की नसीहतें
आज के दौर में रहे डटें, ले रहे है रफ़्तार भरी फ़ज़ीहतें ( फ़ैसले)
शादी के लिए भारी भरकम दबाव
बात सुनना नहीं , मेरी बातों का रहा अभाव
बच्चों की पढ़ाई पे फक्र करना और तारीफ़ें बेचना
आगे के लिए फ़िक्र करना और सबकी टाँगे खिंचना
पहली गाड़ी का घर पे दुल्हन की तरह आना
रोज़ रोज़ उसे पोंछना , उससे कहीं ना आना जाना
गाड़ी धीरे धीरे चलाना , पेट्रोल बचाना
रास्ते पर दूसरे को गाली देना , अपनी गलती छुपाना
बहु को बेटी बना के घर लाना
नाती पोतों को अपने बच्चों की तरह उलाहना
अपनी सारी फ़िक्र का ज़िक्र तक नहीं किया
पिताजी आपने ये सही नहीं किया
क्या हो जाता , अगर दिख जाते दो चार आँसूँ
क्या हों जाता , अगर नहीं दिखते आप कभी धाँसूँ
यह सब हमने देखा है और जीया है आपके साथ । ये ज़िंदगी का वो टुकड़ा है जिसे सब यादें कहते है और इसके बगेर हमारी भी जीवनी अधूरी है ।
आप क्या हो मेरे लिए, इसका वर्णन करना असंभव है, लेकिन आप क्यों हो मेरे लिए? इसका जवाब केवल इस बात में छुपा है- ‘आप एक पिता हो और मैं आपका बेटा , सिर्फ़ आपका बेटा ।’कहने को बहुत कम हैं ये शब्द, लेकिन फिर भी, शुक्रिया पापा, मेरे पिता होने के लिए……..
Very well written… True emotions are expressed here.. Great job writer ji.. Itna father ke liye likhna , it’s fantastic to read. Some of the lines resembles with mine too..
Thanks for your overwhelming words
So touched
Best gift for every day for our Master “PAPA”.
Thank you Anurag sir for remembering all that things….thank you very much..
Thanks dear for your greatful words.. I am happy that I reached to your lost memories.. I have just tried to write something on very difficult topic..
Can you share this topic on my FB page
Already its in FB… You can search the talking clouds on FB.. It is already posted there
Superb…..👌👌👌👌🙏