
सपनो के पर्दे खुले थे
आसमानी रंगो मे घुलें थे
एक उड़ती कश्ती की बाँहें थामे
हर रोज़ की फ़िक्र भरी वो शामें
मन था घोड़ों पे हर दम सवार
छलांग लगानी थीं जो इस बार
मायूस नहीं था , फ़ौलाद भरा था अंदर
कोई रोक के दिखाए , ऐसा मैं समंदर
कितनी रातें जागा अपनी उड़ान देखने को
अब मैं आ गया हूँ, करतब बेचने को
सही था मैं , इस बार खुद को झोंक दूँगा
अपने दम पे , कील इस दफ़ा ठोंक दूँगा
नहीं ज़रूरत अब किसी की सिफ़ारिश की
सब्र दे इंतहान ले खुदा से यह गुज़ारिश की
आया हूँ इस रण पे, नहीं किसी से लड़ना मुझे
अपने को खोजने आया हूँ , यहीं समझना मुझे
छोटी छोटी जीत का सिलसिला शुरू हुआ
कानों में कामयाबी का फ़लसफ़ा शुरू हुआ
ख़ुशियों की क्यारी हाथ लगी
एक आशा की किरण मन में जगी
दूर था अब भी उस दूर बैठे चमक चाँद से
कोशिश कर रहा था पहुँच जाऊँ जल्द फाँद के
दिखे नहीं , मगर रस्ते पे रोड़े कई पड़े थे
हँसता था , मगर पीठ पे कोड़े कई पड़े थे
किसे दिखाता अपना वो दर्द
किसे बनाता अपना हमदर्द
मेरे भीतर अंतर्द्वंद मचा था ,
अंदर का कलाकार कहता , तू नायक नहीं
मन ने साथ छोड़ा , कहा तू लायक़ ही नहीं
कद्र ना मिली तो कब्र की पनाह लेना आसान है
कुछ तो करना है अंदर मचा ज़ोर ,घमासान है
आज लटका हूँ खुद से हार के मैं
सपनो को जला बैठा , खुद को मार के मैं
नहीं आया सहना इस कदर दर्द है भरा
कोई जीत जाए ये जंग , वो ही है इंसान खरा
आज मर के मै बहुत निराश हूँ
मौन हूँ , स्तब्ध हूँ , हताश हूँ
हारना कोई निष्कर्ष नहीं यारों
मरना कोई सफलता नहीं , मेरी मानो
Miss u sushant Singh Rajput….kash ye tumane padha hota to aaj humare bich hote….well done anuraA bhaiya.
Bhut hi gahan vichar