
मेरी लिखावट दो शब्दों के दरमियाँ है
माना मेरी पंक्ति में ज़रा सी कमियाँ है
जब भी लिखता हूँ लिखने का जज़्बा कम नहीं होता
दिल खोल देने से शब्द कम पड़ने का वहम नहीं होता
दुनिया पे राज करने से क्या होगा
मुझे तो दिलों पे राज करना हैं
अपनी सोच दुनिया से बाँटना चाहता हूँ
अपना अहसास दिलो में बिठाना चाहता हूँ
दुनिया को एकजुट करना चाहता हूँ
दहशत से दिलो को आज़ाद कराना चाहता हूँ
किसी के जज़्बात की इस दुनिया को क्या फ़िक्र
सही जज़्बा उन ही दिलो में पैदा करना चाहता हूँ
चाँद , तारो और पैसों में बात करती है यें दुनिया
ज़मीनी मूल्यों को दिलों में भरना चाहता हूँ
दुनिया के इस हुडदंग में जहाँ खो गयीं हर की आवाज़
वहीं मै अपने दिल की धड़कन/आवाज़ सुनना चाहता हूँ
आख़िर में राहत इंदोरी के चंद अलफ़ाज़ :-
हम सुने के नयी हवाओ की सोहबत बिगाड़ देती है
कबूतरों को खुली छत बिगाड़ देती है
वो जो जुर्म करते है , इतने बुरे नहीं होते
सज़ा ना दे के , अदालत बिगाड़ देती है
मिलाना चाहा है इंसान को जब भी इंसान से
तो सारे काम यें सियासत बिगाड़ देती है
Yeh Dil aur duniya ko kitni achchi tarah se baandha hai aapne. Well done
Dhanyawaad
Ykinan ….
Thanks..
Bhut khoob