
इंतेज़ार खतम हुआ , ख़ुशियों की चाबी हाथ लगी हैं
घर बेटी आयी हैं , सुखो की सौग़ात हाथ लगी हैं
घर की खामोशी किलकारियों में बदल गयी हैं
हाथों की लकीरें आज ख़ुशनसीबी से संभल गयी हैं
हुआ यूँ
एक रूप मिली थी उस चादर में
एक धूप खिली थी उस आँगन में
एक ख़ुशी छायी थी उस पल में
एक मै था उसके मगन में
एक मीठापन था उसके मुस्कान में
एक अपनापन था उसकी उँगलियों में
एक पहरा था उसके ज़ुबान में
एक आस बंधी थी मेरे मन में
कुछ तो वो बोलेगी
मूँह अपना वो खोलेगी
“ मै छोटी सी चिड़िया हूँ पापा
मैंने आपकी रातों को हैं नापा
बहुत सवाल पूछते थे खुदा से
क्या होगा यही सोचते थे
मनभावन हूँ मन में ही रखना
मुझ पे कभी सख़्ती ना बरतना
सौ सवाल का एक जवाब बनूँगी
मै कल आपका उज्जवल भविष्य बनूँगी ”
नयी नवेली सुबह की खिलती किरण आँगन में झांकी रे
मुझे थाम लो , अपना नाम दो , कहती बनेगी मेरी साथी रे
जब घर की दहलीज़ पर कदम पड़े इस नन्ही परी के ,
दरख़्तों में नयी ऊर्जा आती हैं , नव पल्लवों के संग गीत गाती हैं
चिड़ियों का कलरव मोहता हैं , नयी झंकार का आभास होता हैं
फूलों से भँवरे झांकते है , इधर उधर को भागते है
हवाओं का झोका आता है , निर्मल मन और पावन हो जाता है
शंखो में मंत्रो का उद्गम होता हैं, उदित होता हैं भाग्य जिसका सोता हैं
सभी को माँ चाहिए , बेटी चाहिए , पत्नी चाहिए
यह जीवन का तम्बू हैं , तीनो की ही शक्ति चाहिए
जहाँ इनका वास हो , वहाँ रहती हैं सदा प्रेम और शांति
घर घर का कोना होता है शुद्ध , चेहरे पे सब के रहती है आलोकिक कांति
घर उनके लिए हो ऐसा , जिसमे विराजे स्वयं प्रभु
देवी का स्थान रहे जिसमें , दूर रहे सारे शत्रु
घर की दीवारें अब मायूस नहीं रहती हैं
कुछ तो बात हैं , बेटियाँ कभी चुप भी तो नहीं रहती हैं
पिता की लाड़ली होती हैं और कहलाती माँ की परछाई
क़िस्मत वालों को मिलती हैं बेटियाँ , जिनमे हो अच्छाई
अब तक हम इतना ही जान पाए है
माँ की सखी हो तुम
कुटुम्ब की रौनक़ हों तुम
अच्छे कर्मों का फल हो तुम
मीठी बातों का संग्रहालय हो तुम
किसी परिवार की आधारशिला हों तुम
समझ बूझ की पराकाष्ठा हो तुम
प्रेम का अपार भंडार हों तुम
सबको अटूट बंधन में बांधने का ज़रिया हो तुम
भाई की लम्बी उम्र और कलाई का राखी हो तुम
दूर से फ़िक्र में खुद को पीड़ित और उनको ढाँढस देती हो तुम
अगली छुट्टी में फिर मायके आने की आस दे सबको छोड़ आती हो तुम
कितना मुश्किल हैं कम शब्दों में यह सारी बातें लिखना
कितना आसान हैं खुद की तकलीफ़ में हंसते दिखना
बेटियाँ तो होती है पराया धन
यें बातें अब पुरानी हो चली हैं
बेटियाँ तो होती हैं अमानत किसी की
जाती हैं जिस घर हो जाती हैं उन्ही की
घर भी उनको ढूँढता ही होगा
चिड़िया फिर कब आँगन में चहकेगी यही सोचता होगा
Very Touching lines….. I can understand well as I am also a mother of one.. Great work…
Thanks for your encouragement… Lot more is on the way… I am now become an unstoppable train…
Last Line is Skool Touchy
Nice one…..close to the inly heart of every girl…..
Atyant bhawuk ….
Dhanyawaad aapka
Very nice
This one heart touching line jija ji …..but it’s true lines for girls……ek din kisi ar ke Ghar Jana hota hai apne babul ka Ghar chhod KR…🙏
Sahi kaha aapne… Thanks for your lovely comments…